वाहे गुरु जी दा खालसा...श्री वाहे गुरु जी की फ़तेह ..सिख शूरवीर हरी सिंह नलवा के शौर्य गान
जो लोग यहाँ पर महाराजा रंजीत सिंह जी को याद कर रहे हैं .....
उन्हें बताना चाहूँगा की सिख शूरवीर हरी सिंह नलवा के शौर्य गान के बिना महाराजा रंजीत सिंह जी की कहानियां भी अधूरी ही रह जाएँगी....
हरी सिंह नलवा एक ऐसे सिख शूरवीर ..... जो जब कभी अफगानिस्तान पहुँचते थे .... अफगानियों के पजामे गिले हो जाते थे.....
मैं आपको बता दूं .....
की अफगानी लोग पहले पजामे पहनते थे ....
हरी सिंह नलवा जी ने उनको सलवार पहनना सिखाया....
पकड़ा अफगानियों को जो कट्टरता का दंभ भरते थे .... और हिन्दुओं और सिक्खों पर अत्याचार करते थे....
त्राहि त्राहि मच गई थी अफगानियों में.....
लोग अपना घर शहर छोड़ छोड़ कर भाग जाया करते थे....
जब उनको पता चलता था की नलवा आ गया है ....
घुटनों के बल बैठ के जान सलामती की भीख मांगते थे.... क्योंकि मार और पिटाई के आगे तो भूत भी नाचते हैं ये कटुए क्या चीज़ हैं ...?
नलवा जी ने कहा ..... जाओ अपनी अपनी जनानियों की सलवारें पहन कर आओ..... फिर जीवन दान देंगे.....
और सारे अफगानी दौड़ कर गए अपनी अपनी बीवियों की सलवारें पहन कर घुटनों के बल बैठ कर जीवन दान की भीख मांगते थे......
जीवन दान मिला पर इसी शर्त पर.... की अगर कभी पजामा पहने देख लिया... तो गर्दन अलग कर दी जाएगी.....
वो दिन है और आज का दिन है .....
सलवारें ही बिकती हैं ... अफगानिस्तान में... पजामो को तो कोई पूछता ही नहीं .....
वाहे गुरु जी दा खालसा...श्री वाहे गुरु जी की फ़तेह ...
Kingdom of Raja Ranjit Singh
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