Wednesday, September 15, 2010

बगुलों का शासन हुआ, निर्वासित हैं हंस! सिंहासन पर आ गए,रूप बदल कर कंस!!

Nitin Kalra



बगुलों का शासन हुआ, निर्वासित हैं हंस!

सिंहासन पर आ गए,रूप बदल कर कंस!!
रूप बदल कर कंस,भ्रष्ट सत्ता के भोगी!

चाट-पकौड़ी बेच रहे,संन्यासी योगी!!
...कोठे पर बैठी बिकने,लोलुप व्यवस्था!

बिगड़े हुए निज़ाम की लाचार अवस्था!



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